sidhiyan: इन्ही नही समझ में आ रहा है कि
एक देशद्रोही की बरसी...: इन्ही नही समझ में आ रहा है कि एक देशद्रोही की बरसी मनाने की किसी उनिवेर्सिटी वालों को क्या जरुरत थी इतने किसान रोज आत्महत्या करते है उ...
sidhiyan
Tuesday 8 March 2016
इन्ही नही समझ में आ रहा है कि
एक देशद्रोही की बरसी मनाने की
किसी उनिवेर्सिटी वालों को
क्या जरुरत थी
इतने किसान रोज आत्महत्या करते है
उनके लिए कोई धिक्कार दिवस ये लोग क्यों
नही मनाते
इतनी गौएँ बेरहमी से काटी जाती है उसपर
ये लोग क्यों खामोश है क्या
गौओं को बेरहमी से हलाल करना
किसानों की आत्महत्या
इनकी असहिष्णुता में शामिल नही है
एक देशद्रोही की बरसी मनाने की
किसी उनिवेर्सिटी वालों को
क्या जरुरत थी
इतने किसान रोज आत्महत्या करते है
उनके लिए कोई धिक्कार दिवस ये लोग क्यों
नही मनाते
इतनी गौएँ बेरहमी से काटी जाती है उसपर
ये लोग क्यों खामोश है क्या
गौओं को बेरहमी से हलाल करना
किसानों की आत्महत्या
इनकी असहिष्णुता में शामिल नही है
Monday 7 March 2016
Thursday 17 December 2015
sidhiyan: हास्टल की लाइफ बहुत ही फ्री थी, लेकिन वैसी नही हमा...
sidhiyan: हास्टल की लाइफ बहुत ही फ्री थी, लेकिन वैसी नही हमा...: हास्टल की लाइफ बहुत ही फ्री थी, लेकिन वैसी नही हमारी वॉर्डन बहुत सख्त थी, हम रोज धर्मपथ घूमने जाते, एक साँझ वॉर्डन मम ने हम सबको उप्र के गै...
हास्टल की लाइफ बहुत ही फ्री थी, लेकिन वैसी नही हमारी वॉर्डन बहुत सख्त थी, हम रोज धर्मपथ घूमने जाते, एक साँझ वॉर्डन मम ने हम सबको उप्र के गैलरी में पकड़ा, मेरी साड़ी सहेलियां तेजी से भाग गयी , और मई बोडम रह गयी, मम के सामने भीगी बिल्ली बनी, जैसे बचपन में गोपिका मेम ने मेरे हाथों पर छड़ियां बरसाई थी, और डरकर मेरे कपड़े भीग गए थे, क्लास में ही, जबकि पढ़ाई में सबसे आगे, लेकिन मेडम से बहुत डर्टी थी, यूँ कहो, बेहद शर्मीला नेचर थे मेरा ,
तो, उस शाम भुस्कुटे मेडम ने मुझे खूब लेक्चर झाड़ा और मई चुप सुनती रही, फिर मई उतनी शाम घूमने नही गयी, लेकिन जब मेरा सीनियर मिलने पहुंचा तो, मई इतने तेजी से मिलने निचे भागी की, उप्र आ रही, दो सखियों से टकरा गयी, मई दरअसल माधुरी से कटरा गयी, बेचारी दुबली पतली सलीम लड़की, मेरे जैसी उस वक़्त की मोती मोटी की टक्क्र से गिरी नही, क्यूंकि, मई वाकई बहुत तेज भागी थी, और टकराई भी वंहा जन्हा सीढियाँ टर्न होती है , वो तो, बेचारी भौंचक्क रह गयी, और मई सॉरी कहकर निचे गयी, इधर माधुरी ने उप्र से झांक कर निचे देखा तो, दूसरा सॉक , वो उसीका रिलेटिव था, फिर तो, ओ कभी हॉस्टल नही आ सका , और हमारी मित्रता चली लेकिन ब्रेक तो लग ही गया , बहुत मुश्किल होता है, मेरे घर में नही पता , क्या समझा गया, की मेरा विवाह, फर्स्ट ईयर के बाद ही हो गया, जबकि मैंने शादी के बाद भी अपनी लॉ की स्टडी कम्पलीट की , राजू तुम बहुत जाहीं थे, आज भी उन बातों पर हँसते तो, होंगे
तो, उस शाम भुस्कुटे मेडम ने मुझे खूब लेक्चर झाड़ा और मई चुप सुनती रही, फिर मई उतनी शाम घूमने नही गयी, लेकिन जब मेरा सीनियर मिलने पहुंचा तो, मई इतने तेजी से मिलने निचे भागी की, उप्र आ रही, दो सखियों से टकरा गयी, मई दरअसल माधुरी से कटरा गयी, बेचारी दुबली पतली सलीम लड़की, मेरे जैसी उस वक़्त की मोती मोटी की टक्क्र से गिरी नही, क्यूंकि, मई वाकई बहुत तेज भागी थी, और टकराई भी वंहा जन्हा सीढियाँ टर्न होती है , वो तो, बेचारी भौंचक्क रह गयी, और मई सॉरी कहकर निचे गयी, इधर माधुरी ने उप्र से झांक कर निचे देखा तो, दूसरा सॉक , वो उसीका रिलेटिव था, फिर तो, ओ कभी हॉस्टल नही आ सका , और हमारी मित्रता चली लेकिन ब्रेक तो लग ही गया , बहुत मुश्किल होता है, मेरे घर में नही पता , क्या समझा गया, की मेरा विवाह, फर्स्ट ईयर के बाद ही हो गया, जबकि मैंने शादी के बाद भी अपनी लॉ की स्टडी कम्पलीट की , राजू तुम बहुत जाहीं थे, आज भी उन बातों पर हँसते तो, होंगे
Wednesday 16 December 2015
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